Uncategorized

जयप्रकाश आजाद का उदाहरण समाज के लिए—श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज को दिया देहदान

जयप्रकाश आजाद का उदाहरण समाज के लिए—श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज को दिया देहदान

 

आज हमें एक महान और अद्भुत व्यक्ति, श्री जयप्रकाश आजाद, को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला

95 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ, लेकिन उनके जीवन का संदेश और योगदान अमर रहेगा।

श्री जयप्रकाश आजाद ने अपने जीवनकाल में ही यह निर्णय लिया था कि उनके शरीर को चिकित्सा शिक्षा के लिए दान किया जाए। उनकी यह इच्छा उनके पुत्र, डॉ. मनोज गुप्ता द्वारा पूरी की गई, जिन्होंने उनके पार्थिव शरीर को श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, देहरादून को सौंपा।

 

जयप्रकाश आजाद का परिवार हमेशा से ही देशभक्ति और सेवा भाव से जुड़ा रहा है। उनके तीन बेटों में सबसे बड़े, डॉ. मनोज गुप्ता, एम्स ऋषिकेश में कैंसर विभाग के प्रमुख (एचऔडी) रहे हैं और वर्तमान में श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज में डायरेक्टर एचऔडी के पद पर कार्यरत हैं।

 

आज इस भावपूर्ण अवसर पर अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा जगत के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

श्री महत इंदरेश, मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ गौरव रतूडी

डॉ. सदाकत अली, एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष वॉइस चांसलर पिल्लई साहब तथा इमरजेंसी और नर्सिंग स्टाफ के सभी सदस्यो ने मिलकर जयप्रकाश आजाद को श्रद्धांजलि दी और उनके जीवन के इस महान दान का सम्मान किया। अस्पताल प्रशासन के सुरक्षा कर्मियों ने भी उन्हें सलामी देकर उनके योगदान को सम्मानित किया

एनाटॉमी विभागा अध्यक्ष डॉ. सदाकत अली जी नें यह पूरी जानकारी दी

 

 

देहदान का महत्व और योगदान

 

शरीर दान करने का यह कदम केवल एक दान नहीं, बल्कि जीवन और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। जयप्रकाश आजाद के देहदान से चिकित्सा छात्रों को एनाटॉमी और फिजियोलॉजी के अध्ययन में वास्तविक अनुभव प्राप्त होगा। उनके शरीर का प्रयोग:

एनाटॉमी प्रयोगशालाओं में मानव शरीर की संरचना समझने के लिए

सर्जिकल प्रैक्टिस और प्रशिक्षण में

मेडिकल रिसर्च और नवीन उपचार पद्धतियों के अध्ययन में लाया जाएगा

 

इस प्रकार उनके जीवन का यह अंतिम योगदान अनगिनत छात्रों और डॉक्टरों के ज्ञान को बढ़ाने में सहायक बनेगा।

जयप्रकाश आजाद का यह दान हमें यह याद दिलाता है कि जीवन का वास्तविक मूल्य दूसरों की भलाई और शिक्षा में निहित है। उनके परिवार और चिकित्सकीय जगत ने उनके इस महान कार्य को पूरी श्रद्धा और संवेदनशीलता के साथ पूरा किया..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button